۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | पापों की क्षमा के लिए शर्त यह है कि पश्चाताप के साथ सुधार भी हो। गुमराहों के लिए वापसी और तौबा का रास्ता खुला रखना उनके मार्गदर्शन का एक तरीका है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِلَّا الَّذِينَ تَابُوا مِن بَعْدِ ذَٰلِكَ وَأَصْلَحُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ  इल लल्लज़ीना ताबू मिन बादे ज़ालेका व असलहू फ़इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुर रहीम (आले-इमरान, 89)

अनुवाद: परन्तु जिन लोगों ने उसके बाद तौबा कर ली और अपने आप को सुधार लिया, निश्चय ही ईश्वर क्षमा करने वाला और अत्यंत दयालु है।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ जो धर्मत्यागी पश्चाताप करते हैं वे अल्लाह तआला, स्वर्गदूतों और लोगों द्वारा देखे और स्वीकार किए जाते हैं।
2️⃣ अल्लाह तआला से मार्गदर्शन पाने का तरीक़ा तौबा, सुधार और पिछली ग़लतियों का सुधार है।
3️⃣ पापों की क्षमा की शर्त यह है कि पश्चाताप के साथ सुधार भी हो।
4️⃣ गुमराहों के लिए वापसी और तौबा और सुधार का रास्ता खुला रखना उनकी हिदायत का एक तरीका है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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